स्त्री जाति
💥 *।। ओ३म् ।।*💥
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स्त्री जाति में एक अवगुण अति भारी है
स्त्री ही करती स्त्री की ख़्वारी है,
कभी सास, कभी ननद तो कभी जेठानी
स्त्री की स्त्री से ही न बन पाती है।
अपने को ही सबसे बढ़कर मानें
बहू को ही ये सब देवें ताने।
भूल जाती ये खुद भी एक बहू
फिर क्यों उसके दर्द को ये न जानें ?
अपनी इस कमी को दूर करो बहनो
एकदूजे के व्यथा को पहचानो बहनो।
यदि हमने ही स्त्री के दर्द को न जाना
तो क्यों न जुल्म करेगा हम पर जमाना ?
अपने मन से मैल हटाएं हम
हम एक हैं यही जताएं हम।
अपनी जाति का सम्मान करें
नहीं आपस में भेदभाव रखें।
स्त्री जब देगी स्त्री का साथ
फिर कोई न कर पाएगा अत्याचार।
हम ही हैं अपने दुःखों के
काफी हद तक जिम्मेदार।
सुनीता गुप्ता सरिता कानपुर
Gunjan Kamal
07-Dec-2022 08:57 AM
बहुत खूब
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Parangat Mourya
07-Dec-2022 12:12 AM
Bahut khoob 🌸👍
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Varsha_Upadhyay
06-Dec-2022 07:56 PM
शानदार प्रस्तुति 👌
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